मकर संक्रांति पर कुमाऊं मंडल में विशेष पकवान बनते हैं, ‘घुघुते’

उत्तराखंड के साथ-साथ भारत वर्ष में मकर संक्रांति के पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. कुमाऊं मंडल में जहां विशेष पकवान ‘घुघुते’बनते हैं, तो वहीं गढ़वाल के कुछ इलाकों में काली दाल की खिचड़ी, लेकिन चमोली जिले के जोशीमठ पैनखंडा क्षेत्र में इस त्योहार में एक विशेष पकवान बनता है जिसे ‘चुन्या’ कहा जाता है. कुछ ग्रामीण तो मकर संक्रांति को चुन्या त्योहार के नाम से मनाते हैं, इसलिए यह त्योहार पहाड़ों की परंपराओं का अद्भुत उदाहरण है. चुन्या बनाने के लिए सबसे पहले चावल, काली दाल और गेहूं को इकट्ठा कर घराट में पीसा जाता है. इसके बाद आटे को कुछ घंटे के लिए भिगोया जाता है, फिर गुड़ को इस आटे में मिलाया जाता है. उसके बाद चुन्या को तेल में पकाया जाता है लेकिन समय के अभाव में आजकल ग्रामीण मैदा का इस्तेमाल भी चुन्या बनाने के लिए कर रहे हैं. वर्तमान समय में चुन्या पकवान घरों से गायब होते जा रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. ग्रामीण घरों में इस त्योहार के दिन लोग दीवारों पर भगवान सूर्य और उनके सेवकों के दल की तस्वीर बनाते हैं और उसमें सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन हो रहे हैं, यह प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं. दो दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन चुन्या के अलावा अनेक पकवान बनाए जाते हैं और संक्रांति की सुबह सबसे पहले चुन्या कौवों को खिलाए जाते हैं. वहीं नई पीढ़ी हमारी सदियों से चली आ रही इन परंपराओं से दूर हो रही है. मान्यता है कि जो कौवे साल के अधिकतर दिन गायब रहते हैं, वो इस दिन अपना हिस्सा लेने के लिए घरों को आते हैं और छोटे बच्चे उन्हें चुन्या खिलाते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *