‘गोलमाल’, ‘नरम गरम’, ‘रंग बिरंगी’, ‘शौकीन’ और ‘गुड्डी’ जैसी फिल्मों में काम करने वाले दिग्गज अभिनेता उत्पल दत्त ने अपनी एक्टिंग से लंबे समय तक दर्शकों का मनोरंजन किया. शानदार अभिनेता के साथ उत्पल दत्त एक सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे हैं. कला के साथ समाज के तमाम पहलुओं पर पैनी नजर रखने वाले उत्पल दत्त कई रातें जेल में भी बिता चुके हैं.
उत्पल दत्त का गोलमाल फिल्म का डायलॉग ‘बेटा रामप्रसाद’ आज भी कई साल बाद लोगों की जुबान पर रहता है. 29 मार्च 1929 को बंग्लादेश के बारीसाल में जन्मे उत्पल ने साल 1940 में थियेटर से अपने करियर की शुरुआत की थी. कई साल तक थियेटर करने के बाद उत्पल ने मुंबई आकर फिल्मों में अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरी. उत्पल दत्त को साहित्य से विशेष लगाव रहा. उत्पल ने शेक्सपीयर के नाटक ओथेलो किया था जिसमें उनकी काफी सराहना हुई थी.
उत्पल दत्त कलाकार होने के साथ ही एक बड़े मार्क्सवादी विचारधारा के इंसान थे. अपने विचारों में क्रांति की आग लिए उत्पल अपने करियर के दौरान कई विवादों में घिरे. साल 1963 का नाटक ‘कल्लोल’ के कारण भी उत्पल को काफी विरोध का सामना करना पड़ा. इसमें नौसैनिकों की बगावत की कहानी को दिखाकर उत्पल ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था
इसके बाद 1965 में उत्पल दत्त को कई महीनों के लिए जेल की हवा खानी पड़ी थी. 1967 में जब बंगाल विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस को बुरी हार झेलनी पड़ी. तब यह भी माना गया कि कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह उत्पल दत्त की गिरफ्तारी रही. जब देश में आपातकाल लगा तो उत्पल ने तीन नाटक लिखे. इनमें ‘बैरीकेड’, ‘सिटी ऑफ नाइटमेयर्स’, ‘इंटर द किंग’ जैसे बेहतरीन ड्रामा शामिल रहे. इन तीनों नाटकों को भी तत्कालीन सरकार ने बैन कर दिया था. उत्पल दत्त ने अपनी एक्टिंग का लोहा कई फिल्मों में मनवाया. उनकी एक्टिंग का जलवा यहां तक था कि उत्पल ने जवानी में ही बुजुर्ग किरदार करने से परहेज नहीं किया. उत्पल ने अपनी जवानी में कई दादा जी के किरदार किए. फिल्म ‘भुवन शोम’ के लिए उन्हें वर्ष 1970 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. फिल्म ‘गोलमाल’ के लिए उत्पल को फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन के सम्मान से नवाजा गया था. 19 अगस्त 1993 को उत्पल की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. उत्पल के निधन पर पूरा बॉलीवुड गम में डूब गया था.