ब्रिटेन में 18 से 24 साल के 17 लाख से ज्यादा लड़के मां-बाप की कमाई पर कर रहे ऐश

ब्रिटेन में 18 से 24 साल के 17 लाख से ज्यादा लड़के मां-बाप की कमाई पर ऐश कर रहे हैं। इनके पास न तो कोई नौकरी है, न ये भविष्य में कोई काम करना चाहते हैं। ये पढ़ाई भी नहीं करते। इन्हें लगता है कि इनके माता-पिता ने इतनी संपत्ति इकट्‌ठा कर ली है कि इनका जीवन आराम से कट जाएगा।

वहीं दूसरी ओर, ब्रिटेन की वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हो गई है। भागीदारी बढ़ने से वे ज्यादा आत्मनिर्भर हुई हैं। उनकी फैसले लेने की क्षमता बढ़ी है। परिवार में उनकी भूमिका अहम होती जा रही है। महिलाओं की सामाजिक स्थिति में आया यह बदलाव नई पीढ़ी की लड़कियों के लिए प्रेरणा बन रहा है।

महिलाओं से ज्यादा पुरुष बेरोजगार

ब्रिटेन में अब महिलाओं से ज्यादा पुरुष बेरोजगार हैं। ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स के इस साल अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, यहां 18 से 24 साल के 31.9% युवा लड़के किसी तरह का आर्थिक योगदान नहीं देते।

सिटी एंड गाइड्स की एक रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटेन के हर दसवें लड़के ने कभी काम की तलाश ही नहीं की। ब्रिटेन में 24 साल तक के 43% लड़के अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। इन पर कोई जिम्मेदारी नहीं है और इनके पास पिछली पीढ़ी से ज्यादा पैसा है।

मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे युवा घर का किराया नहीं देते, न ही इन्हें राशन की फिक्र होती है। ये युवा लग्जरी चीजों पर ज्यादा खर्च करते हैं। अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने पाया है कि बेरोजगार युवा वीडियो गेम्स खेलते हुए अपना लंबा वक्त गुजारते हैं।

बूढ़ी हो रही ब्रिटेन की कामकाजी आबादी

ब्रिटेन की कामकाजी आबादी बूढ़ी हो रही है। देश में कर्मचारियों की कमी है। कोरोनाकाल के बाद 50 से 64 साल के लाखों लोगों ने वक्त से पहले रिटायरमेंट ले लिया। कुछ ने बीमारी, तो कुछ ने काम करने की अनिच्छा से नौकरी छोड़ दी। ब्रिटेन में महंगाई तेजी से बढ़ी है। इसके बावजूद वेतन महंगाई के अनुपात में नहीं बढ़ा है। इसकी वजह से भी युवाओं का नौकरी से मोहभंग हुआ।

कम वेतन वालों की पदोन्नति की संभावना भी कम होती है। जहां 1970 में कम आय वाले युवा लड़के 13% थे, अब बढ़कर दोगुने 26% हो गए हैं। सर्वे के अनुसार, सिर्फ 20% युवाओं को अपना काम पसंद है।

युवाओं को लगातार सलाह और मार्गदर्शन देने की जरूरत

सिटी एंड गिल्ड्स की मुख्य कार्यकारी क्रिस्टी डोनेली कहती हैं- हमने युवाओं को करियर की सलाह और मार्गदर्शन देने के लिए पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं की। उद्योगों में स्किल की कमी है और युवाओं को पता ही नहीं है कि उनके लिए किस तरह के मौके हैं। यह भी देखा गया है कि 12 महीने तक लगातार बेरोजगार रहने वाले लोगों में से सिर्फ 30% ही दोबारा काम ढूंढ़ते हैं।

रिजोल्यूशन फाउंडेशन की अर्थशास्त्री लुईस मर्फी कहती हैं- यह देखा गया है कि जो लोग करियर के शुरू में ही कोई काम नहीं करते उन्हें बाद में नौकरी या किसी तरह की आर्थिक गतिविधि में ज्यादा समय तक रोक पाना संभव नहीं होता।

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